Saturday, September 12, 2009

उद्‌गम

तुम जब तक मुझमें हो,
स्वच्छ, निर्मल, पावन, विकारहीन हो,
मुझसे बिछुड़ते ही,
ये सब भी तुमसे बिछुड़ जायेगा,
पर यही तुम्हारी नियति है,
और मेरी परिणिति।

2 comments:

  1. हिन्‍दी दिवस के दिन आपके इस नए चिट्ठे के साथ आपका स्‍वागत है .. ब्‍लाग जगत में कल से ही हिन्‍दी के प्रति सबो की जागरूकता को देखकर अच्‍छा लग रहा है .. हिन्‍दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं !!

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